Wednesday, March 19, 2014

ग़ज़ल - भूल जाता हूँ..

तुम्हारी याद को दिल से भुलाना भूल जाता हूँ!
आदतन अपने  हालात बताना भूल जाता हूँ!!

मिलती हो तो चाहता हूँ करूँ मैं बहुत सी बातें,
तुम्हारी आँखों में खो कर सुनाना भूल जाता हूँ!

तुम्हारी खिलखिलाती हंसी में अक्सर खो कर,
मैं सारी दुनिया सारा जमाना भूल जाता हूँ!

नहीं वाकिफ हूँ मुहब्बत के रस्मों और रिवाज़ो से 
अपने पागल दिल को मैं समझाना भूल जाता हूँ!

क्या राज-ऐ-उल्फत है मुहब्बत करने वालों का,
मैं नादान समझना यह अफसाना भूल जाता हूँ !

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