Tuesday, January 19, 2016

ग़ज़ल....जब से तुम गये सनम!





पल पल अब लगता है भारी, जब से तुम गये सनम!

वीरान हो गयी दुनिया हमारी, जब से तुम गये सनम!


तुम्हारी यादों के मोती बस एक एहसास बन गए है,

उन से पिरो ली माला न्यारी, जब से तुम गए सनम!


तुम ने कहा जो कहना था, जब अपनी वारी आई,

बात रह गयी अधूरी हमारी, जब से तुम गए सनम!


कैसे भूल जाये यह दिल, उस हंसती हुई नज़रों को,

अब कोई नहीं है खुशग़वारी, जब से तुम गए सनम!


तेरे न होने से दिल में  इक सन्नाटा सा छा गया है

मुस्कराहट खो गयी हमारी, जब से तुम गए सनम!


बड़ी बेकैफ़ियत से गुजरती है, लम्बी राते जुदाई की,

सुबह की रहती है इंतज़ारी, जब से तुम गए सनम!

Thursday, January 07, 2016

तुम्हे देखा जो...ग़ज़ल


तुम्हे देखा जो एक नज़र बस दिल मे समा गए तुम !

अपनी मीठी मुस्कान से मुझे अपना बना गए तुम !


सुना था मुहब्बत के बदले ज़रूर मिलती है मुहब्बत,

फिर क्यों मेरी मुहब्बत के जवाब से  कतरा गए तुम !


दिल से खेलना हम ने कभी सीखा नहीं ऐ जानेमन,

तो फिर क्यों सिर्फ बातों से मेरा दिल बहला गए तुम !


ना इज़हार किया, ना इक़रार किया कभी मुहब्बत का,

बस एक दोस्त की तरह से दोस्ती जैसे निभा गए तुम !


अगर मुहब्बत नहीं थी तो बस एक बार कहा तो होता,

बातों ही बातों से बस 'आशु' का उल्लू बना गए तुम !