Tuesday, January 19, 2016

ग़ज़ल....जब से तुम गये सनम!





पल पल अब लगता है भारी, जब से तुम गये सनम!

वीरान हो गयी दुनिया हमारी, जब से तुम गये सनम!


तुम्हारी यादों के मोती बस एक एहसास बन गए है,

उन से पिरो ली माला न्यारी, जब से तुम गए सनम!


तुम ने कहा जो कहना था, जब अपनी वारी आई,

बात रह गयी अधूरी हमारी, जब से तुम गए सनम!


कैसे भूल जाये यह दिल, उस हंसती हुई नज़रों को,

अब कोई नहीं है खुशग़वारी, जब से तुम गए सनम!


तेरे न होने से दिल में  इक सन्नाटा सा छा गया है

मुस्कराहट खो गयी हमारी, जब से तुम गए सनम!


बड़ी बेकैफ़ियत से गुजरती है, लम्बी राते जुदाई की,

सुबह की रहती है इंतज़ारी, जब से तुम गए सनम!

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