Thursday, January 07, 2016

तुम्हे देखा जो...ग़ज़ल


तुम्हे देखा जो एक नज़र बस दिल मे समा गए तुम !

अपनी मीठी मुस्कान से मुझे अपना बना गए तुम !


सुना था मुहब्बत के बदले ज़रूर मिलती है मुहब्बत,

फिर क्यों मेरी मुहब्बत के जवाब से  कतरा गए तुम !


दिल से खेलना हम ने कभी सीखा नहीं ऐ जानेमन,

तो फिर क्यों सिर्फ बातों से मेरा दिल बहला गए तुम !


ना इज़हार किया, ना इक़रार किया कभी मुहब्बत का,

बस एक दोस्त की तरह से दोस्ती जैसे निभा गए तुम !


अगर मुहब्बत नहीं थी तो बस एक बार कहा तो होता,

बातों ही बातों से बस 'आशु' का उल्लू बना गए तुम !

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